अगर आपने भी अपनी सालों से पड़ी प्रॉपर्टी का नहीं पूछा हाल तो ये खबर है आपके लिए

Property Possession: अगर आपके नाम पर कोई पुरानी जमीन या मकान है, लेकिन आपने सालों से उसका हाल नहीं पूछा, तो अब सावधान हो जाइए। सुप्रीम कोर्ट के 2024 के नए फैसले ने भारत में प्रॉपर्टी कानून की दिशा बदल दी है। इस फैसले के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक आपकी जमीन पर शांतिपूर्वक और खुले तौर पर कब्जा बनाए रखता है और आपने इस दौरान कोई कानूनी या व्यक्तिगत आपत्ति नहीं जताई, तो अब वह व्यक्ति उस संपत्ति का मालिक बन सकता है।

Adverse Possession कब कब्जा बनता है हक़

इस कानून को Adverse Possession कहा जाता है।

         इसके तहत यदि कोई व्यक्ति

  • 12 साल तक लगातार किसी प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा बनाए रखता है,

  • कब्जा शांतिपूर्ण, सार्वजनिक और बिना रोक-टोक हो,

  • और असली मालिक इस पर कोई आपत्ति या केस दर्ज नहीं करता,तो वह व्यक्ति कोर्ट में जाकर उस संपत्ति पर मालिकाना हक मांग सकता है।

किराएइसदार भी कर सकता है मालिकाना दावा ?

 फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या किराएदार भी इस कानून का लाभ उठा सकता है ? इसका जवाब है – कुछ मामलों में हां।
यदि कोई किराएदार

  • बिना रेंट एग्रीमेंट के लगातार 12 साल तक मकान में रहा हो,

  • मालिक ने ना तो किराया मांगा हो, ना कोई लीगल नोटिस भेजा हो,

  • वह खुद को मकान का मालिक मानते हुए प्रॉपर्टी टैक्स और बिजली-पानी के बिल चुका रहा हो,

  • और किसी ने उसके कब्जे पर आपत्ति ना की हो,

तो वह भी Adverse Possession के तहत मकान पर मालिकाना हक जता सकता है।

Limitation Act क्या कहता है ?

Limitation Act, 1963 की धारा 27 के अनुसार:

अगर कोई व्यक्ति किसी प्राइवेट प्रॉपर्टी पर 12 साल तक कब्जा बनाए रखे, और

उस दौरान असली मालिक ने कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की,

तो असली मालिक का हक खत्म हो जाता है, और कब्जाधारी को मालिकाना अधिकार मिल सकता है।

यदि प्रॉपर्टी सरकारी जमीन है, तो यह समयसीमा 30 साल होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बदला पुराना फैसला ?

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कब्जा करने वाला व्यक्ति प्रॉपर्टी का मालिक नहीं बन सकता, चाहे वह कितने साल भी रहा हो। लेकिन 2024 में दो जजों की बेंच ने इस पर स्पष्ट निर्णय देते हुए कहा कि यदि असली मालिक ने कोई आपत्ति नहीं की, और कब्जा 12 साल तक निरंतर बना रहा, तो कोर्ट कब्जाधारी को कानूनी मान्यता दे सकती है।

क्या गलत लोग इसका फायदा नहीं उठाएंगे ?

लोगों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि क्या अब कोई भी व्यक्ति किसी की संपत्ति पर कब्जा करके मालिक बन सकता है ?

इसका उत्तर है – नहीं, इतना आसान नहीं है।

कोर्ट में Adverse Possession का दावा साबित करने के लिए कई कड़े सबूत पेश करने होते हैं

लगातार कब्जा होने का प्रमाण

मालिक की बिना आपत्ति के चुप्पी

टैक्स और बिल जमा करने के दस्तावेज

प्रॉपर्टी की देखभाल का सबूत

सार्वजनिक रूप से मालिक की तरह व्यवहार

इन सबूतों के बिना कोई भी व्यक्ति सिर्फ कब्जा करके मालिक नहीं बन सकता।

प्रॉपर्टी मालिकों के लिए जरूरी अलर्ट

अगर आपके पास कोई पुरानी या खाली पड़ी संपत्ति है, तो अब आपको और सतर्क रहने की जरूरत है:

नियमित विज़िट करें – जानें कि आपकी जमीन पर कौन रह रहा है।

दस्तावेज अपडेट रखें – जमीन का नाम, रजिस्ट्रेशन, रिकॉर्ड्स आदि को समय-समय पर जांचते रहें।

किराएदार से रेंट एग्रीमेंट कराएं –

बिना एग्रीमेंट किसी को रहने न दें।

कब्जाधारी को नोटिस भेजें –

अगर कोई व्यक्ति बिना अधिकार जमीन पर रह रहा है।

कानूनी कार्रवाई करें –

कब्जा ज्यादा समय से है तो तुरंत कोर्ट में केस करें।

अब सिर्फ कागजों में नाम होना काफी नहीं

सुप्रीम कोर्ट के इस नए फैसले ने यह साफ कर दिया है कि अब केवल रजिस्ट्री में नाम होने से आप संपत्ति के मालिक नहीं माने जाएंगे। अगर आपने अपनी प्रॉपर्टी की देखभाल नहीं की, और कोई दूसरा व्यक्ति 12 साल से वहां रह रहा है, तो वो भी मालिक बनने का दावा कर सकता है।

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